जून, जुलाई और अगस्त ही नहीं बल्कि मार्च तक हर महीने कुछ न कुछ दिन बारिश जरूर हुई है। इसके चलते दिन ठंडे रहे। तापमान सामान्य से 6-7 डिग्री कम बना रहा। मौसम का ऐसा मिजाज पिछले 10 माह से बना हुआ है। मानसून सीजन में बारिश भी सामान्य से 83 फीसदी ज्यादा हुई।
मार्च का पहला पखवाड़ा बीत गया, लेकिन ठंडक बरकरार है। माैसम वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी में करीब 65 दिन तपिश के होते हैं। माैसम वैज्ञानिकाें का कहना है कि अनुमान के मुताबिक 20- 21 मार्च तक तपिश ज्यादा नहीं हाेगी। अप्रैल, मई और जून के 48 दिन ही तप सकते हैं। वजह यह है कि मई के दूसरे पखवाड़े के बाद प्री मानसून गतिविधि शुरू हाे सकती है।

मौसम में ऐसा परिवर्तन क्यों - जीडी मिश्रा माैसम वैज्ञानिक
- इस बार बंगाल की खाड़ी में लाे प्रेशर एरिया ज्यादा, लगातार एवं देर तक यानी सितंबर तक बने। इनकी फ्रिक्वेंसी सामान्य से ज्यादा रही। इस वजह से बारिश ज्यादा हुई। बारिश के कारण नमी ज्यादा बनी रही।
- हमारे ठंड के लिए जरूरी फैक्टर वेस्टर्न डिस्टरबेंस की फ्रिक्वेंसी बहुत ज्यादा रही। ये हर महीने 5 या 6 बनने चाहिए, लेकिन इस बार इनमें गेप गम रहा और 7 से 9 तक बने। इस कारण दिन ठंडे रहे।
- भूमध्य सागर में अभी भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस के आने का सिलसिला जारी है। हवा के चक्रवाती घेरे के रूप में यह बदल रहे हैं। इससे मार्च में बारिश हाे रही है ओले गिर रहे हैं।
गर्मी के माैसम पर क्या असर - शैलेंद्र नायक माैसम विशेषज्ञ
- इससे आने वाले माैसम का साइकिल यानी चक्र भी गड़बड़ाएगा। तपिश के दिनाें की अवधि कम हाेगी, लगातार ज्यादा दिनाें तक दिन नहीं तपेंगे।
- तापमान में उतार- चढ़ाव का सिलसिला बना रहेगा।
- अप्रैल मध्य के बाद और मई में शुरू हाेने वाली प्री मानूसन गतिविधि जल्दी शुरू हाे जाएंगी, देर तक बनी रहेगी।
- माैसम विभाग ने दिल्ली से 27 फरवरी काे जारी पूर्वानुमान में कहा है कि मप्र में मई तक दिन का तापमान सामान्य से 0.50 अधिक बना रह सकता है।